Ancient Olympic Games Modern Olympic Games — sportsgo.in

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5 min readFeb 22, 2021

इस पोस्ट में आप जानोगे — ओलम्पिक खेल कैसे व् कब शुरू हुआ। Ancient Olympic Games (प्राचीन ओलम्पिक खेल) . Modern Olympic Games (आधुनिक ओलम्पिक खेल). Facts about ancient Olympic Games.

This Post is continuation of my previous post — ओलम्पिक में भारत के पदक / ओलम्पिक शुभंकर

Lets dive in deeper

Ancient Olympic Games प्राचीन ओलम्पिक खेल

एलिस (Elis) नगर में असंख्य धन — गृह, मंदिर तथा अनगिनत धार्मिक भवन थे, जिनमे सबसे सुन्दर व महत्वपूर्ण ओलम्पियम (Olympium) था। जिसके ठीक मध्य में एक बेहद विशाल 40 फुट ऊँची जीयस देवता की मूर्ती थी, जिसे ओलम्पियम (Olympium) कहा जाता था ।

यह मूर्ती संसार के सात आशचर्यों में एक थी। हाथी दन्त की बनी तथा स्वर्ण आभूषणों और आवरणों से ढकी हुई इस भीमकाय मूर्ती को देखकर ऐसा प्रतीत होता था मानो साक्षात यूनानी देवता स्वयं अपने सिंहासन पर विराजमान हों।

उस काल में यूनान में छोटे छोटे नगर राज्य थे, जो आपस में सदा संघर्षरत रहते थे। परन्तु ओलम्पिक खेलों के दिनों में आपसी संघर्ष छोड़ व् खेलों में भाग लेते थे। सभी प्रतिभागी सुरक्षित रहते थे। इस व्यवस्था को ओलिंपिक ट्रूस (Olympic Truce) कहा जाता था।

किसी भी यूनानी के लिए यह सबसे बड़ा सम्मान होता था की वह खेलों में विजयी होने वाले व्यक्ति को मिलने वाली जैतून वृक्ष की छोटी सी टहनी प्राप्त करे। सामान्य लोगो के साथ साथ राजा भी प्रतियोगिताएं में हिस्सा लिया करते थे। रोम के सम्राटों ने 37–68 ई0 तक ओलम्पिक प्रतियोगिताएं में विजय सम्मान प्राप्त करने का भी प्रयास किया था।

विजेता अपने देश के वीर नायक बन जाते थे। गायक उनकी प्रशंसा में गीत गाते थे और मूर्तिकार उनकी शक्ति एवम सुंदरता को संगमरमर में साकार कर देते थे। यूनान के ओलम्पिक जीवन का मुख्य उद्देश्य मानसिक तथा शारीरिक पक्षों में एक सारता बनाये रखना था। ओलम्पिक खेलों में विजयी रहना उस समय एक बेहद बड़ा आदर माना जाता था।

प्लेटो जैसे महान विद्वान ने भी मल्ल युद्ध कुश्ती ( wrestling) प्रतियोगिताएं में पुरुस्कार प्राप्त किया था। शारीरिक सौंदर्य तथा युद्ध के लिए तैयारी ओलम्पिक के पीछे छुपे हुए उद्देश्य थे। ओलम्पिक खेल प्रत्येक 4 वर्ष बाद आयोजित किये जाते थे। एक ओलम्पिक से दूसरे ओलम्पिक खेल के बीच के समय को ओलम्पियाड (Olympiad) कहा जाता था।

394 ईसवी में यूनान पर रोम का अधिकार होते ही इन खेलों में गतिरोध उत्पन्न हो गया। रोम के तत्कालीन सम्राट थियोडोसियस प्रथम (Thiodosius 1st) ने आदेश द्वारा प्रथम ओलम्पिक खेलों पर प्रतिबन्ध लगा दिया।

थियोडोसियस प्रथम (Thiodosius 1st) के प्रतिबन्ध लगाने के पश्चात् भी रोम के शाशकों ने ओलम्पिक खेलों पर कहर ढाया, 426 ईसवी में थियोडोसियस द्वित्य (Thiodosius 2nd) ने ओलम्पिक स्टेडियम को ही ध्वस्त करने का आदेश जारी किया।

ओलम्पिक खेलों पर रोम के शाशकों के अलावा प्रकृति ने भी खिलवाड़ किया। वैसे तो रोम के शाशकों ने यूनान के पवित्र नगर “ओलम्पिया” को बर्बाद ही कर दिया था, रही सही कसर कालांतर में आये भीषण भूकंप ने पूरी कर दी।

इस विनाशकारी भूकंप से ओलम्पिया नगर पूरी तरह बर्बाद हो गया। इसी क्रम में “ एल्फियस” नामक नदी ने ओलम्पिया को अपने आगोश में ले लिया। इस प्रकार न केवल “ओलम्पिक खेलों” की भावना पर प्रहार हुआ अपितु जीयस एवं क्रोनोस देवताओं के मंदिर भी नष्ट हो गए।

Facts about Ancient Olympic Games

प्राचीनकालीन ओलम्पिक से सम्बंधित कुछ तथ्य

खेल स्थल के समीप नियमानुसार केवल एक ही महिला प्रवेश कर सकती थी जो जीयस देवता के मंदिर की पुजारन होती थी जिसे डैमैतरा (Demetra) कहा जाता था।

1.

ओलम्पिक खेलों के बीच के 4 वर्ष को ओलम्पियाड कहा जाता था।

7.

ओलम्पिक खेल के उद्घाटन को स्पॉन्डिफोरी (Spondiphori) कहा जाता था।

9.

फिडियास (Phidias) नामक मूर्तिकार विजेताओं के सम्मान में कवितायें गाया करता था।

10.

ओलम्पिक खेल महिलाओं के लिए वर्जित था परन्तु फैरानाइस (Pheranice) नामक महिला ने अपने पुत्र पिसिडोरस (Pisidorus) जो एक boxing का खिलाडी था को प्रतियोगिता में भाग लेते हुए देखने के लिए इस नियम को भंग किया। महिला को सजा नहीं मिली क्योंकि वो विजेता की माँ थी तथा उसके पति व् भाई भी ओलम्पिक खेल में स्वर्ण पदक विजेता थे अतः उसकी सज़ा माफ़ कर दी गयी।

Terms used during Ancient Olympic Games with meaning

Modern Olympic Games आधुनिक ओलम्पिक खेल

अप्रैल 1829 में फ्रांस के पुरातत्वेत्ताओं ने ओलम्पियस नगर में खुदाई शुरू की, मगर सही तरीके से खुदाई, प्राचीन चीज़ों को ढूंढ़ने का कार्य 4th अक्टूबर, 1875 को जर्मनी के परतत्वेत्ताओं ने किया।

इसका श्रेय अर्नेस्ट कर्टियस नामक पुरातत्वेत्ता को दिया जाता है। खुदाई में अनेक प्राचीन अवशेष मिले जो ओलम्पिया के तत्कालीन महत्त्व के प्रत्यक्षदर्शी थे। इस खुदाई की सफलता के साथ ही विश्व के लोगों में ओलम्पिक के प्रति रुचि जाग्रत हुई इस प्रकार ओलम्पिक को पुनः शुरू करने की मांग चारों दिशाओं से होने लगी।

मांग करने वाले लोगों में समकालीन विचारक जीन जैक्स, रूसो, गारफील्ड, वेलडो, हैरो आदि भी सम्मिलित थे।

ओलम्पिया नगर की खुदाई एवं अवशेषों के अध्यन ने आधुनिक ओलम्पिक खेलों का मार्ग प्राप्त किया। आधुनिक ओलम्पिक खेलों को शुरू करने का श्रेय फ्रांस के भाषाविद एवम समाजशास्त्री बैरन पियरेडी कुबर्तिन को जाता है।

सन 1894 में कुबर्तिन ने ओलम्पिक खेलों को पुनः प्रारम्भ करने के सन्दर्भ में एक सम्मलेन सरबोन, पेरिस (france) नमक स्थान पर 23 जून 1894 को आयोजित किया (Sorbon is known as University of Paris) इस सम्मलेन में अमेरिका और रूस सहित 12 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मलेन में अंतराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (International Olympic Committee) का गठन किया गया और कुबर्तिन को उसका प्रथम मंत्री बनाया गया।

अप्रैल 1896 आधुनिक ओलम्पिक खेल का प्रथम आयोजन हुआ इसका श्रेय बैरन पियरे डी कुबर्तिन को जाता है इसलिए कुबर्तिन को आधुनिक ओलम्पिक का जन्म दाता कहा जाता है।

1948 में I.O.C द्वारा यह तय किया गया की 23 जून विश्वभर में ओलम्पिक दिवस (Olympic day) के रूप में मनाया जाएगा।

“में सबसे आवश्यक केवल विजय प्राप्त करना नहीं बल्कि भाग लेना है। जीवन में सबसे बड़ी बात विजय नहीं संघर्ष है तथा अत्यावश्यक बात विजय की कामना ही नहीं, अछि तरह से द्वन्द करना है।”

कुबर्तिन की सोच के अनुसार निम्नलिखित उदेश्यों द्वारा ओलम्पिक के उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है -

1. विश्व के सभी देशों का ध्यान शारीरिक शिक्षा तथा खेल की तरफ लगाना जिससे की देशवासियों का शारीरिक, मानसिक एवम सामजिक विकास हो सकें।

2. खिलाडी में देशभक्ति तथा भाईचारे का भाव पैदा करना ताकि वे अच्छे नागरिक बन सकें

3. खिलाडियों के जीवन में ऐसी बातों का प्रकाश डालना जिसके कारण वे अपना जीवन पूरे समाज के साथ सुख से व्यतीत कर सकें।

4. खिलाडियों के अंदर खेल को समय बिताने तथा मनोरंजन का साधन मानने की भावना पैदा करना ताकि वे इससे किसी भौतिक लाभ की आशा न रखे।

उपरोक्त सोच के अनुसार यह जान पड़ता है की ओलम्पिक खेलो में किसी भी धर्म, जाती वर्ण आदि का भेदभाव नहीं होता।

Originally published at https://sportsgo.in on February 22, 2021.

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